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मेरे दिल से उतर गये सारे

इसके जज़्बात मर गए सारे मेरे दिल से उतर गए सारे तुझे अपनों पे नाज़ था गुलशन पता चला किधर गए सारे 

ना दर्द इंतज़ार में है !

ना नब्ज़ तेज़ है ना दर्द इंतज़ार में है ! कैसे करू यकीं ऐ  दिल.    तू प्यार है !

थी प्रीत जहा की रीत सदा

जब कुछ न किया मेरे भारत ने भारत ने मेरे भारत ने नापाक में तब ज़ुर्रत आई समझोते की रट  भारत ने, जब देखो तब दोहराई देता न ये ढील जो भारत तो , यूँ  ताज जलना मुश्किल था घर में घुस कर उन वीरो के सर काट ले जाना मुश्किल था सभ्यता यहाँ पहले आई अब भ्रष्टाचार का दौर चला अब का भारत वो भारत है के जिसको रहे है चोर चला चोर चला पुरज़ोर चला , चोर चला चारो और चला भगवन के लिए रोको इन्हे, रोको नहीं तो ठोको इन्हे ठोको नहीं तो रोको इन्हे, ठोको नहीं तो रोको इन्हे थी प्रीत जहा की रीत सदा अब उसके हाल बताता हु में आज के भारत वाला हु अब के हालत बताता हु हर छोटे मोटे नेता का अब स्विस बैंक में खाता  है है  है  है कुछ और न आता हो इनको इन्हे माल दबाना आता है ! जिसे जान चुकी सारी जनता हाँ  जिसे मान चुकी सारी  जनता वो घोटाले दोहराता हूँ. में आज के भारत वाला हु अब के हालत बताता हु लुटे हो किसी ने देश तो क्या हमने अपनों को लूटा है है  है  है रिश्वतखोरी बेमानी  से, नहीं कोई महकमा छूटा है भूखे मरते है लोग यहाँ जी भूखे मरते है लोग यहाँ ये इनको याद दिलाता हु में आज के भारत वाला हु अब के हालत बताता

बंदगी का हिस्सा है !

इसे भी याद रख के बंदगी का हिस्सा है ! ये जो मरना है हमें, ज़िंदगी का हिस्सा है ! इक तब्बस्सुम भी मेरे ग़म की सांझेदार नहीं ! मग़र ख़ुशी में एक संजीदगी का हिस्सा है !

परवाज़ के लिए !

अब के मैं तैयार हूँ परवाज़ के लिए ! कुछ हौसला हो जाये जो आगाज़ के लिए ! चुप रहा बरसो इसी आवाज़ के लिए

मैं चोर सही !

जो सब पे है इनायत, मेरी भी ओर सही ! अब बदनाम तो तू है ही, थोड़ी ओर सही ! मैं सफाई तेरे इलज़ाम की देने से तो रहा  चल अहल ऐ ईमान तू सही मैं चोर सही !

बवाल क्या है क्या पता !

किसी के घर की बात क्या है, हाल क्या है क्या पता ! किस ज़ेहन में पल रहा ख़याल क्या है क्या पता ! आपसे मांगे न कोई ग़र , सलाह न दीजिये ! किस का क्या कुसूर है , बवाल क्या है क्या पता !

ख़ुश मिज़ाज़ बहुत था !

ज़रो ज़मीन ले आई है ये संजीदगी मुझमे ! में अपनी मुफलिसी में ख़ुश मिज़ाज़ बहुत था !

पेशे से नहीं !

तेरे हालात ये, तेरे हुनर को क़त्ल न कर दे ! शायद तू इसी ख़ौफ़  से शायर है, पेशे से नहीं ! फ़क़त  कुछ दाद से ही घर नहीं चलता गुलशन ! अच्छा है तू जो शौक से शायर है, पेशे से नहीं ! 

हम बड़े बुरे बने !

उसके इरादे कोई कभी जान न पाया ! हमने छुपाया कुछ तो हम बड़े बुरे बने ! वो दिन गए मियां जब इसकी जीत पक्की थी ! कल आज़माया सच तो हम बड़े बुरे बने ! 

सितम सब मुँह ज़बानी याद है !

भूख और उबले हुए चावल का पानी याद है ! ज़िंदगी तेरे सितम सब मुँह ज़बानी याद है ! मुफ़लिसी जाने से पहले सब अदा कर जाऊंगा ! मुझ पे तेरे क़र्ज़ है कुछ खानदानी याद है !