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जी हुजूरी का पैसा मिलता है !

आधी मेहनत पे भी पूरी का पैसा मिलता है बगल में रहते है, दुरी का पैसा मिलता  है ! वो हक़ के हक़ में बोलते हुए अच्छे नहीं लगते जिन्हे ख़ुद जी हुजूरी का पैसा मिलता है !

यहाँ बस उसके इशारे पे है !

कब कौन भला किसके सहारे पे है जीना मरना यहाँ बस उसके इशारे पे है ! वो बचाने गया जो लौटकर नहीं आया जो शख्स डूब रहा था वो कनारे पे है !

वो अच्छा है बहुत अच्छा है !

तेरे हर झूठ पर खुश होगा जो खुद झूठा है वो बुरा मान जायेगा जो बहुत सच्चा है ! उसे कहने दे अब के मुझ से बुरा कोई नहीं मुझे पता है वो अच्छा है बहुत अच्छा है !

जो पहचाने से ना लगे !

सुने सुने से ना लगें, जाने जाने से ना लगे मुझे वो शेर कहने है जो पहचाने से ना लगे !

ये तेरा अंदाज़ नहीं है !

मैं नौकरी में हूँ, मेरी कोई आवाज़ नहीं है ये ज़बान है मेरी मगर अल्फ़ाज़ नहीं है ! तू किसी के कहे से खुद को मत बदल गुलशन तुझे मालूम है के, ये तेरा अंदाज़ नहीं है !

किसका शौक रखता है !

हमारे बीच भला कैसे निभेगी ये महोब्बत मैं इबादत समझता हूँ, तू इसका शौक  रखता है ! ना बन्दगी में पड़ता है ना ज़िंदगी ही जीता है बला क्या है खुदा जाने तू किसका शौक रखता है !

वुजूद पर शक होता है !

सुना है हर जगह मौजूद पर शक है कभी कभी तेरे वुजूद पर शक होता है ! यहाँ हर शख्स धमाकों  ऐसा सहमा है पड़ा है राह में अमरुद पर शक होता है !

ईनाम बड़े मिल गए !

तेरी इनायत से ये इलज़ाम बड़े मिल गए थोड़ी शराफत में ही ईनाम बड़े मिल गए !

मैं हर! बार हटता हूँ

अपनी खुशी से मैं कहाँ  मेरे यार हटता हूँ तू दो कदम हटता है, तो मैं चार हटता हूँ ! जो मुझे छोड़ गया था वो मेरे रास्ते में अब आता है बार बार मैं हर! बार हटता हूँ

वफादारी नहीं छोड़ी !

लूटकर भी तूने मक्कारी नहीं छोड़ी में लूट गया लेकिन वफादारी नहीं छोड़ी ! तूने झूठ आज़माने का नुस्ख़ा नहीं छोड़ा मैंने भी  सच कहने  बीमारी नहीं छोड़ी !  क्यूँकर करे कोई किसी रिश्ते पे ऐतबार खुद बाप ही ने बेटी कुंवारी नहीं छोड़ी ! थे मसरूफ पर अल्लाह को याद करते रहे जीते जी मरने की तय्यारी नहीं छोडी !

घूँट पी लेना मेरा पीना तो न हुआ !

क़ैद ए शराब ए साकी ए मीना तो ना हुआ दो घूँट पी लेना मेरा पीना तो न हुआ !

अपनों से दूरी रखता है !

मिलने की हसरत तो पूरी रखता है ना जाने फिर क्या मजबुरी रखता है ! कम मिलने पे रिश्ते ज्यादा चलते है अब अपना अपनों से दूरी रखता है !

आसमां से लौट आया हूँ

ख़ुद ब ख़ुद शहर ऐ गुमा से लौट आया हूँ तू जहाँ जा रहा है, मैं वहां से लौट आया हूँ इस्से पहले के लडखतें कदम गिरा देते में ख़ुद ज़मीं  पर आसमां से लौट आया हूँ 

हम भी कम तो नहीं पीते थे

तेरी उमर मे हम भी कम तो नहीं पीते थे तू जिंतनी पी जाता है हम तो नहीं पीते थे 

ऐतबार इश्क़ पे करता कोई नहीं

सुनो अब ऐतबार इश्क़ पे करता कोई नहीं सब प्यार प्यार करते है, करता कोई नहीं

खुद अपने गुनाहों का चश्मदीद बनता हूँ !

मैं खुद से अपना नामा ए आमाल लिखता हूँ खुद अपने गुनाहों का चश्मदीद बनता हूँ !

नसीब मेरा छोड़िये, कमाल मेरे देखिये

मैं कह रहा हूँ  क्या  तुम कह रही हो क्या जवाब अपने देखिये, सवाल मेरे देखिये आसमां झुक कर करेगा छूने की कोशिश मुझे नसीब मेरा छोड़िये, कमाल मेरे देखिये