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खुली   आँख   आधी,   हुआ   सर   जो   भारी लगा   कर   सुबह   मैंने,   शब   की   उतारी नया कुछ नहीं तो, वही बात कर लें? के कुछ बात तो हो, तुम्हारी हमारी मेरी बात उससे, और उस की किसी से है तो चींटियों सी ही आदत तुम्हारी ये नफरत का धंदा, यूँ कब तक चलेगा कभी तेरी बारी, कभी मेरी बारी कभी रास हो सकता है, आ भी जायें   है फिलहाल हालात से, जंग जारी जो गुलशन इशारो पे अब नाचता है मुहल्ले का सबसे बड़ा था मदारी

मैं अपनी राह हूँ, तु अपनी राह है

यही वो मोड़ है, यहाँ से आगे अब मैं अपनी राह हूँ, तु अपनी राह है

नही होतीं हमारे से

ये ज़ाया जाग कर रातें नही होतीं हमारे से  मुसलसल यार बरसातें नही होतीं हमारे से हमीं रूठें किसी से फिर हमीं उस को मनायें वा  मियाँ ऐसी करामातें नही होती हमारे से नही यूँ तो हमें दिक्कत महब्बत से मगर यूँ है  बिना सर पैर की बाते नही होतीं हमारे से

elergy है

मज़हब की सौगातों से elergy है मुझ को जातों पातों से elergy है तेरे सपने जो रातें ना दिखलायें उन सब की सब रातों से elergy है तू गुलशन क्यूँ अच्छी बातें करता है उसको अच्छी बातों से elergy है

औऱ भी हो जाएगा

साफ़ गोई ठीक है गुलशन मगर ये जान ले इस तरह तो तू अकेला औऱ भी हो जाएगा

जी हुजूरी का पैसा मिलता है !

आधी मेहनत पे भी पूरी का पैसा मिलता है बगल में रहते है, दुरी का पैसा मिलता  है ! वो हक़ के हक़ में बोलते हुए अच्छे नहीं लगते जिन्हे ख़ुद जी हुजूरी का पैसा मिलता है !

यहाँ बस उसके इशारे पे है !

कब कौन भला किसके सहारे पे है जीना मरना यहाँ बस उसके इशारे पे है ! वो बचाने गया जो लौटकर नहीं आया जो शख्स डूब रहा था वो कनारे पे है !