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नही होतीं हमारे से

ये ज़ाया जाग कर रातें नही होतीं हमारे से  मुसलसल यार बरसातें नही होतीं हमारे से हमीं रूठें किसी से फिर हमीं उस को मनायें वा  मियाँ ऐसी करामातें नही होती हमारे से नही यूँ तो हमें दिक्कत महब्बत से मगर यूँ है  बिना सर पैर की बाते नही होतीं हमारे से