आधी मेहनत पे भी पूरी का पैसा मिलता है बगल में रहते है, दुरी का पैसा मिलता है ! वो हक़ के हक़ में बोलते हुए अच्छे नहीं लगते जिन्हे ख़ुद जी हुजूरी का पैसा मिलता है !
तेरे हर झूठ पर खुश होगा जो खुद झूठा है वो बुरा मान जायेगा जो बहुत सच्चा है ! उसे कहने दे अब के मुझ से बुरा कोई नहीं मुझे पता है वो अच्छा है बहुत अच्छा है !
मैं नौकरी में हूँ, मेरी कोई आवाज़ नहीं है ये ज़बान है मेरी मगर अल्फ़ाज़ नहीं है ! तू किसी के कहे से खुद को मत बदल गुलशन तुझे मालूम है के, ये तेरा अंदाज़ नहीं है !
हमारे बीच भला कैसे निभेगी ये महोब्बत मैं इबादत समझता हूँ, तू इसका शौक रखता है ! ना बन्दगी में पड़ता है ना ज़िंदगी ही जीता है बला क्या है खुदा जाने तू किसका शौक रखता है !
अपनी खुशी से मैं कहाँ मेरे यार हटता हूँ तू दो कदम हटता है, तो मैं चार हटता हूँ ! जो मुझे छोड़ गया था वो मेरे रास्ते में अब आता है बार बार मैं हर! बार हटता हूँ
लूटकर भी तूने मक्कारी नहीं छोड़ी में लूट गया लेकिन वफादारी नहीं छोड़ी ! तूने झूठ आज़माने का नुस्ख़ा नहीं छोड़ा मैंने भी सच कहने बीमारी नहीं छोड़ी ! क्यूँकर करे कोई किसी रिश्ते पे ऐतबार खुद बाप ही ने बेटी कुंवारी नहीं छोड़ी ! थे मसरूफ पर अल्लाह को याद करते रहे जीते जी मरने की तय्यारी नहीं छोडी !