अपनों से दूरी रखता है !
मिलने की हसरत तो पूरी रखता है
ना जाने फिर क्या मजबुरी रखता है !
कम मिलने पे रिश्ते ज्यादा चलते है
अब अपना अपनों से दूरी रखता है !
ना जाने फिर क्या मजबुरी रखता है !
कम मिलने पे रिश्ते ज्यादा चलते है
अब अपना अपनों से दूरी रखता है !
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