किसका शौक रखता है !

हमारे बीच भला कैसे निभेगी ये महोब्बत
मैं इबादत समझता हूँ, तू इसका शौक  रखता है !

ना बन्दगी में पड़ता है ना ज़िंदगी ही जीता है
बला क्या है खुदा जाने तू किसका शौक रखता है !

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