उम्मीदों पर नज़र क्यूँ है !

उम्मीदों पर नज़र क्यूँ है
ये चाहत का असर क्यूँ है
नहीं तुझको कदर मेरी
तू इतनी बेकदर क्यों है

रंगों से भरी दुनिया में
दिल बेरंग है मेरा
न जाने कब मिलेगा
मेरे दिल के संग दिल तेरा
यह पागल तुझको चाहता है
तुझे हर पल बुलाता है
नहीं होता उधर कुछ भी
यह सब कुछ बस इधर क्यों है
उम्मीदों पर नज़र क्यों है
यह चाहत का असर क्यों है

बड़े देखे तेरे सपने
बहुत देखी तेरी रहे
तेरे इंतज़ार में खुली है अब भी यह बहे
यह लगता है की पालेंगे
तुझे अपना बना लेंगे
में करता हूँ बहुत कोशिश
यह कोशिश बेअसर क्यूँ है
उम्मीदों पर नज़र क्यूँ है
ये चाहत का असर क्यूँ है

Gulshan Mehra

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