मेरे इश्क में रब है !

मेरे इश्क में तू क्यूँ  नहीं, जब, मेरे इश्क में सब है
मेरे इश्क में आग है, पानी है, जूनून है, रब है
मेरे इश्क में रब  है
मेरे इश्क में सब है
मेरे इश्क में सब है
मेरे इश्क में रब है

जैसे जिस्म में रूह है, जैसे
फूल में खुशबु है, जैसे
मुझ में तू ही तू है वैसे
मुझ में तू ही तू है
जैसे हवा छुए तुझे, जैसे
पानी तुझे भिगोये, जैसे
वैसे ही मुझमे भी तुझको
छूने की आरज़ू है

तेरी आँख के काजल से ही
महकी महकी शब् है
मेरे इश्क में आग है, पानी है, जूनून है, रब है
मेरे इश्क में रब है
मेरे इश्क में सब है
मेरे इश्क में सब है
मेरे इश्क में रब है

जैसे रगों में खूँ  है, जैसे
दिल में जुस्तज़ू है,  जैसे
हरसू तू ही तू है वैसे
हरसू तू ही तू है

जैसे जहाँ चाहे तुझे जैसे 
हर दुआ मांगे तुझे जैसे 
वैसे ही मुझमे भी तुझको
पाने की आरज़ू है

तेरे नशे में डूबे डूबे
सारे मंज़र अब है
मेरे इश्क में आग है, पानी है, जूनून है, रब है
मेरे इश्क में रब है
मेरे इश्क में सब है
मेरे इश्क में सब है
मेरे  इश्क  में  रब  है 
 
Gulshan Mehra

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