साईं की पालकी घर में आई है !
श्रद्धा सबुरी से मैंने बुलाई है
साईं की पालकी घर में आई है - २
सर झुकाते हुए , गुनगुनाते हुए
साईं महिमा का गुणगान गाते हुए
मन मंदिर में मैंने बसाई है
साईं की पालकी घर में आई है
श्रद्धा सबुरी से मैंने बुलाई है
साईं की पालकी घर में आई है
सुख मनाते हुए, ग़म भुलाते हुए
कभी रोते हुए , मुस्कुराते हुए
मैंने फूलो से राहें संजाई है
साईं की पालकी घर में आई है
श्रद्धा सबुरी से मैंने बुलाई है
साईं की पालकी घर में आई है
झिलमिलाते हुए, साथ आते हुए
चाँद तारों की सौगात लाते हुए
मेरे आँगन में सृष्टि समाई है
साईं की पालकी घर में आई है
श्रद्धा सबुरी से मैंने बुलाई है
साईं की पालकी घर में आई है
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